एक ऐसा समाज जो साँसों में स्वास्थ्य भरता है......
लेखिका:- डॉ. वर्षा ठाकुर
आज की तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी में जहाँ तनाव चुपचाप शरीर और मन को थका रहा है, वहाँ असली समृद्धि उन समाजों में बसती है जो साँसें साथ लेते हैं, भावनाएँ साझा करते हैं, और एक-दूसरे को उन्नत बनाते हैं।
इस अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर पुरवा फाउंटेन स्क्वायर ने केवल एक आयोजन नहीं किया—बल्कि यह साबित कर दिया कि जब एक समाज सचमुच जागरूक होता है, तो वह एक चलती-फिरती साधना बन जाता है।
कहानी, कृतज्ञता और शांति से भरी शुरुआत
22 जून की सुबह जैसे ही सूर्य ने अपनी पहली किरणें बिखेरीं, एम्फीथिएटर लॉन पर योगा मैट्स बिछ गईं और आत्माएँ शांत होने को तत्पर थीं।
मार्गदर्शन कर रहे थे श्री सुधाकांत मिश्रा जी, जो 2017 से समाज में योग का दीप जला रहे हैं।
उन्होंने हमें केवल आसनों का अभ्यास नहीं कराया, बल्कि यह सिखाया कि हर साँस के लिए आभारी कैसे हुआ जाए। उन्होंने भगवान शिव और पार्वती के ध्यान से जुड़ी प्राचीन कथाएँ सुनाईं और सरल भाषा में ध्यान के महत्वपूर्ण सूत्र साझा किए।
उनकी अध्यात्मिक ऊर्जा और सहज शैली ने योग को सभी के लिए सुलभ, शांतिपूर्ण और गहराई से जुड़ाव भरा बना दिया।
सूर्य, पृथ्वी और आत्मा को समर्पण
योग सत्र के बीच में ही सूर्य नमस्कार का अभ्यास हुआ, जिसमें भगवान सूर्य को धन्यवाद और मातृभूमि को प्रणाम अर्पित किया गया।
यह केवल एक क्रिया नहीं थी—यह एक भावनात्मक विनम्रता थी, जो हमें प्रकृति से जोड़ती है।
हर झुकाव में एक प्रार्थना थी, और हर साँस में एक कृतज्ञता।
जब बच्चे, युवा और बुज़ुर्ग साथ बढ़े
इस आयोजन की सबसे सुंदर झलक रही बच्चों की चंचल और ऊर्जावान भागीदारी, जिनकी मासूम मुस्कान योग को उत्सव में बदल रही थी।
और उससे भी प्रेरणादायक थे हमारे वरिष्ठ नागरिक, जिनकी लचीलापन और दृढ़ता ने युवाओं को भी चौंका दिया।
यह पीढ़ियों का संगम हमारे समाज की असली ताकत है।
बाग़वानी टीम को दिल से धन्यवाद
इस आयोजन की सफलता के पीछे हैं हमारे सक्रिय एसोसिएशन सदस्य और रचनात्मक स्वयंसेवक, जिनकी मेहनत ने इस कार्यक्रम को इतना आत्मीय और सुव्यवस्थित बनाया।
खास आभार उन माली और गार्डन टीम के कार्यकर्ताओं को, जो रोज़ अपने पसीने से इस हरियाली को संजोते हैं।
उनकी वजह से ही आज की सुबह इतनी सुंदर, शांतिपूर्ण और श्वासयोग्य बन पाई।
ध्यान से हुआ समापन
कार्यक्रम का समापन हुआ हमारी ही निवासी अनुषा द्वारा कराए गए 30 मिनट के गाइडेड मेडिटेशन से।
उनकी शांत और सौम्य वाणी ने सबको गहराई से विश्रांति और स्थिरता का अनुभव कराया।
जब सबकी आँखें बंद थीं और मन शांति में था—तब जैसे पूरी प्रकृति भी ध्यानमग्न हो गई थी।
साँसों में बसता भविष्य
यह आयोजन केवल स्वास्थ्य तक सीमित नहीं था—यह एक संदेश था कि जहाँ समाज जागरूक होता है, वहीं से सच्ची भलाई की शुरुआत होती है।
पुरवा फाउंटेन स्क्वायर एक ऐसे समाज का उदाहरण है जो केवल साथ में नहीं रहता—बल्कि साथ में साँस लेता है, सोचता है और साधना करता है।
आइए, इस यात्रा को रोज़ के अभ्यास का हिस्सा बनाएं।
स्नेह और शक्ति के साथ,
– डॉ. वर्षा ठाकुर
प्रोफेसर | लेखिका | मनोवैज्ञानिक | जीवन प्रशिक्षक | उद्यमी
संस्थापक – DVAR कंसल्टेंसी प्रा. लि. एवं विज्ञान सरोज केयर फाउंडेशन
परोपकारी | समाजसेविका | साधक
"None of us, including me, ever do great things. But we can all do small things, with great love, and together we can do something wonderful." – Mother Teresa
Look deep into nature, and then you will understand everything better. —Albert Einstein